भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तसवीर देखना / रघुवीर सहाय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:51, 20 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रघुवीर सहाय |संग्रह=हँसो हँसो जल्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक दिन अपने
आप बनी हुई पंक्ति में
बैठे हुए कुछ लोग
इंतज़ार करते थे

मैंने उनकी फ़ोटो
खींच ली

वह सीधी पीठ वाली
बड़े जूड़े की रेखा

और तमाम अनजाने
लोग साफ़-साफ़ आए

फिर कभी फ़ोटो निकाल कर
देखूँगा

अपना बेगानापन
पहचानने के लिए