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सिर्फ़ अपने-अपने शरीर लेकर / मनमोहन
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जैसे वे सिर्फ़ अपने-अपने शरीर लेकर
चली आई हों इस दुनिया में
वे जानती हैं
हमारे पास कैमरे हैं
स्वचालित बहुकोणीय दसों दिशाओं में मुँह किए
जो हर पल उनकी तस्वीरें भेजते हैं
जिन्हें कभी भी प्रकाशित कर सकते हैं
कितनी सावधान वे गुज़रती हैं
मुस्कुराती हुई एक-एक हमारी दुनिया से
जैसे खचाखच भरे किसी जगमगाते स्टेडियम से
अकेले गुज़रती हों