भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूरी भूरी खाक धूल / गजानन माधव मुक्तिबोध
Kavita Kosh से
भूरी भूरी खाक धूल
रचनाकार | गजानन माधव मुक्तिबोध |
---|---|
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, 8, नेताजी सुभाष मार्ग, नयी दिल्ली-110002 |
वर्ष | 1980 (प्रथम संस्करण) |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | नई कविता |
पृष्ठ | 227 |
ISBN | 8126712759 |
विविध | वर्तमान संस्करण, 2006 |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- एक रग का राग / गजानन माधव मुक्तिबोध
- कायरता व साहस के बीच / गजानन माधव मुक्तिबोध
- ये आये वो आये / गजानन माधव मुक्तिबोध
- भाग गई जीप / गजानन माधव मुक्तिबोध
- ओ मसीहा / गजानन माधव मुक्तिबोध
- इसी बैलगाड़ी को / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक फोड़ा दुख / गजानन माधव मुक्तिबोध
- गुँथे तुमसे, बिंधे तुमसे / गजानन माधव मुक्तिबोध
- विक्षुब्ध बुद्धि के मारक स्वर /गजानन माधव मुक्तिबोध
- ओ अप्रस्तुत श्रोता /गजानन माधव मुक्तिबोध
- भविष्य धारा / गजानन माधव मुक्तिबोध
- भविष्य धारा / गजानन माधव मुक्तिबोध
- बिना तुम्हारे / गजानन माधव मुक्तिबोध
- देख कीर्ति के नितम्ब इठलाते / गजानन माधव मुक्तिबोध
- कई बार / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मेरे युवजन, मेरे परिजन / गजानन माधव मुक्तिबोध
- बारह बजे रात के / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मीठा बेर / गजानन माधव मुक्तिबोध
- आज जो चमकदार प्रज्वलित / गजानन माधव मुक्तिबोध
- हर चीज़ जब अपनी / गजानन माधव मुक्तिबोध
- साँझ और पुराना मैं / गजानन माधव मुक्तिबोध
- भूरी-भूरी ख़ाक-धूल / गजानन माधव मुक्तिबोध
- ग़लत फ़िलासफी / गजानन माधव मुक्तिबोध
- झरने पुराने पड़ गये / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक के बाद एक / गजानन माधव मुक्तिबोध
- उलट-पुलट शब्द / गजानन माधव मुक्तिबोध
- साँझ उतरी रंग लेकर उदासी का / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मालव निर्झर की झर-झर कंचन-रेखा / गजानन माधव मुक्तिबोध
- कहने दो उन्हे जो यह कहते हैं / गजानन माधव मुक्तिबोध
- शब्दों का अर्थ जब / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक मित्र के प्रति( कोरी है कापी यह... / गजानन माधव मुक्तिबोध
- बाँह पसारे बोला था आकाश / गजानन माधव मुक्तिबोध
- इस नगरी में / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक प्रदीर्घ कविता का प्रास्ताविक / गजानन माधव मुक्तिबोध
- जब वृद्धा माँ के अन्तर की / गजानन माधव मुक्तिबोध
- गीत / गजानन माधव मुक्तिबोध
- पहली पंक्ति / गजानन माधव मुक्तिबोध
- सूरज के वंशधर / गजानन माधव मुक्तिबोध
- सहर्ष स्वीकारा है / गजानन माधव मुक्तिबोध
- ज़िन्दगी का रास्ता / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मुक्तिकामी पैरों की मोच की चीख़ / गजानन माधव मुक्तिबोध
- सत्य के गर्वीले अन्याय न सह / गजानन माधव मुक्तिबोध
- शक्ति के अमृत का घूँट/ गजानन माधव मुक्तिबोध
- नया आदित्य / गजानन माधव मुक्तिबोध
- पीत ढलती हुई साँझ / गजानन माधव मुक्तिबोध
- साँस-रँगी ऊँची लहरों में / गजानन माधव मुक्तिबोध
- सूखे कठोर नंगे पहाड़ / गजानन माधव मुक्तिबोध