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स्त्री-पुरूष (1) / कमलेश्वर साहू

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यह प्रेम का सबसे विश्वसनीय मुहावरा है
सदियों पुराना
सर्वथा नवीन
प्रेम के इस मुहावरे में स्त्री है
प्रेम के इस मुहावरे में पुरूष है
प्रेम के इस मुहावरे ने
कितने ही दिलों में
प्रेम पैदा किया
प्रेम कथाओं को जन्म दिया
मगर पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं
प्रेम का यह मुहावरा
अपनी चमक
अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है
आप इसे यूं देखिये
मुहावरा वही है
वैसा ही है
हमारे समय के स्त्री-पुरूष को
कुछ होता जा रहा है !