भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्त्री-पुरूष (14) / कमलेश्वर साहू
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:14, 26 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
स्त्री कभी कुछ नहीं बोली
पुरूष उम्रभर दोहराता रहा-
पुरूष को कुल की चिंता थी
स्त्री को कोख की !