भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गरीबी / हेमन्त गणेश

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:23, 8 मई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त गणेश }} {{KKCatKavita}} <poem> बरसाती मौसम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बरसाती मौसम में
धीरे-धीरे बादल
बरसता है मेरी छत से
जब मैं भोजन पर बैठता हूँ।

टप...गिरता है पानी
मेरे सिर पर.....और.....
अपनी थाली लिए
सिमट जाता हूँ एक कोने में।

दाल के बिना भी
फुल जाती है रोटी मेरी
और भुनी हुई अरबी में
शोरबा पड़ जाता है।

अँधेरी रात देखकर
टिमटिमाता दीया बुझ जाता है
पर ये आँखें....
टकटकी लगाए रहती है।

चाँद आता है कभी
कभी तारे आते जाते हैं
सुनकर वे भी चले आते हैं
मेरे जीवन की अद्भुत कहानी।