भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जवाब / नीलाभ
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:38, 28 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीलाभ |संग्रह=चीज़ें उपस्थित हैं / नीलाभ }} दूर दूर दूर ...)
दूर दूर दूर
खेतों में बहती है हवा
नदी की तरह
और जानती है
उसे किसी से कुछ नहीं लेना है
उसे सिर्फ़ देना है आपको
शहर द्वारा अपने प्रति किए गए
अपमान का जवाब
(रचनाकाल :1976)