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काँटों की खेती (हाइकु) / सुधा गुप्ता
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काँटों की खेती
जीवन जोत दिया
चुभे तो रोती ?
14
मेघ मुट्ठी में
क़ैद चाँद , फिसला
निकल भागा ।
15
कौन पानी पी
बोलती री चिड़िया
इतना मीठा !
16
पूनो की रात
चाँद ने बहकाया
लहरें उड़ीं ।
17
गुल्लक फोड़
चुलबुली रात ने
बिखेरे सिक्के ।
18
उली चादर
चटक चाँदनी की
बैठे हैं तारे ।
19
धुआँ चिलम
नशाखोर शाम ने
लगाया दम ।
20
फूलों का सही
टूट गई कमर
बोझ उठाते ।
21
काली चादर
उजाले के फूल से
काढ़ती रात ।
22
धूप से डर
पीली छतरी ओढ़े
खड़ा वैशाख ।
23
बेसुध पड़ी
नींद के घोंसले में
पाखी -बिटिया ।
24
यादों की लोई
खूँटी पर टँगे-टँगे
कीड़े कुतरी ।
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