Last modified on 21 मई 2012, at 19:42

पीले गुलाब(चोका)/ सुधा गुप्ता

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:42, 21 मई 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम्हें भेजे थे
चन्द पीले गुलाब
मिल गए न ?
सिर्फ़ तुम्हारे लिए
सँजो रखे थे
पुखराज-पाटल
पीले गुलाब:
कोमल अहसास
तुम्हारा साथ
निर्धूम अगन -से
प्रशान्त ज्योति
पावनतम मित्र
मुझे भाती है
गुलाब की पीतिमा
 पीले गुलाब
ओस-बिन्दु से सजे
महक उठे
अनाम ,अछूते वे
रिश्ते निर्वाक् ही रहे ।
-0-