भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राम चरण चित्त लगी / शिवदीन राम जोशी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:30, 30 मई 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राम चरण चित लागी, सुरता राम चरण चित लागी।
लागत ही सब पाप साफ बहे, दुर्मति दिल से भागी।
प्रेम प्रवाह बह्यो घट भीतर, ज्योती उर में जागी।
मानस पट से तामस हटकर, राजस की सुध त्यागी।
भाव भक्ति से सदगुण व्यापे, भये प्रेम अनुरागी।
इड़ा पिंगला और सुषुम्ना, निज निज गती बतागी।
अजपा जप के मधुर शब्द से, अनहद नाद जगागी।
अष्ट सिद्धी सब लारें लागे, जो रसना अमृत पागी।
शिवदीन राम लख तत्व ज्योति को, ज्योति में ज्योति समागी।