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माँ की खोज / प्रमोद कुमार शर्मा

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सब कुछ था मेरे पास
केवल माँ नहीं थी
मैं गया परमात्मा की खोह में
तलाश करते हुए उसे
भटक गया घने जंगल में
रोने लगा-
यक-ब-यक खड़ी हो गई माँ
हँसते हुए बोली-
माँ को नहीं ढूंढते बच्चे
ढूंढते हैं खुद को।
और छुपा लिया
अपनी पलकों में।