भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दीपित शिखर / नंद चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:18, 31 मई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंद चतुर्वेदी |संग्रह=जहाँ एक उजाल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


वसन्त मेरा सहचर है
सखा
धूल-धूसरित वीथिकाएँ
नगर और वसन्तसेना
सब कथा है
बीत कर चली जाने वाली
आँधी की तरह अनन्त में

वसन्त एक खिलखिलाती नदी है
उत्तप्त
पत्तों का रंग
कितने रंगों से बना है
कलान्त पृथ्वी के लिए

दुःख फिर लौट आये तो आये
एक दीपित शिखर पर
खड़ा रहूँगा पलाश की तरह
यहाँ से वहाँ तक देख लूँगा
विलीन होती धूप-छाँह।