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हत्यारे उसी शब्द को दोहराते / राजेन्द्र राजन
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आज मैंने एक शब्द की हत्या कर दी
एक अजन्मे शब्द की
क्या यह कोई हादसा है
यह न होता तो क्या होता
यही होता कि एक नया शब्द अस्तित्वे में आता
और शब्दों की पुरानी पड़ चुकी इस दुनिया में
वह बिल्कुल नया तरोताज़ा शब्द
उत्सुकता से
और शायद कुछ भरोसे से सुना जाता
मगर तब क्या यह नहीं होता
कि हत्यारे उसी शब्द को दोहराते
जब वे किसी का दरवाज़ा खटखटाते