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सूखी डाली पर् / मात्सुओ बाशो

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जापानी हाइकु

कारे एदा नि
कारसु नो तोमारिकेरि
आकि नो कुरे।

हिन्दी भावानुवाद

सूखी डाली पर्
काक एक एकाकी
साँझ पतझड़ की।

अनुवादक अज्ञेय

5 मार्च 2004 को होशंगाबाद (म0प्र0), में आयोजित ‘हाइकु समारोह’ में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो० सत्यभूषण वर्मा द्वारा दिये गये भाषण का एक अंश