भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अफ़वाह / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:13, 16 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |संग्रह=राजधा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने धरती पर सेंधमारी की
और स्वांग रचा विलाप का

मैंने जिन-जिन से नमक उधार लिया
वे सभी रकाब बने थे मेरे लिए

मैंने लड़की के बालों को छुआ
और बदले में काली घटा की वसीयत लिख दी

मैंने चुम्बन लिया जिस स्त्री का
उसे चाँद तोहफ़े में दिया

भरोसे के क़ाबिल नहीं था मैं
बावजूद इसके
मेरे अंदर एक हृदय होने की अफ़वाह
ज़ोर-शोर से थी ।