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राह उन्हीं की चलते जावें / कोदूराम दलित
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जो अपने सारे सुख तज कर जन-हित करने में जुट जावें,
दूर विषमताएँ कर-कर के जो समाज में समता लावें,
जन-जागरण ध्येय रख अपना घर-घर जाकर अलख जगावें,
उनके अनुगामी बन कर हम राह उन्हीं की चलते जावें ।
लहू-पसीना औंटा करके खेतों में अनाज उपजावें.
जो खदान-कारखानों के कार्यों से न कभी घबरावें,
है आराम-हराम समझकर उत्पादन को खूब बढ़ावें,
वैसे ही श्रम-वीर बने हम राह उन्हीं की चलते जावें ।
कोटि-कोटि जन भारत के हम उत्तम सैनिक-शिक्षा पावें,
अपने वीर सैनिकों जैसे हम भी रण-कौशल दिखलावें,
सीमा पर इतराने वाले दुश्मन को हम मजा चखावें,
प्राण गँवाया हँसकर जिनने राह उन्हीं की चलते जावें ।