भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यह अपार्टमेंट / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:35, 17 जून 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डुगडुगी बजवाई
काटे गए पेड़
नष्ट की गईं वनस्पतियाँ
चिड़ियों को किया गया घर-बदर
झुलसाए गए
ततैये और मधुमक्खियों के छत्ते
खदेड़ा गया साँपों को
तिलचट्टों पर हुआ केमिकल का छिड़काव
हज़ार-हज़ार चीटियों की बाँबियाँ
की गईं ध्वस्त !

इस तरह कई-कई आबाद घरों को
नेस्तनाबूत कर
यहाँ जो बहुमंज़िली इमारत बनी
मैंने मुस्कुराते हुए कहा
मेरा घर है यह
यह अपार्टमेंट मेरा है!