Last modified on 16 जुलाई 2012, at 22:18

सपना टल गया / ओम पुरोहित ‘कागद’

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:18, 16 जुलाई 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कल तुम आईं
नींद टल गई
सपना मचल गया
लो आज फिर
नींद उचट गई
आज फिर
सपना टल गया !


दिन को
दिन के लिए
रात को
रात के लिए
नींद को
नींद के लिए
छोड़ दो अब
बहुत खलल हो गया !