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कान बंद / गीत चतुर्वेदी
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कितना अच्छा है
मेरे कान बंद हैं
आसपास जो भी बुरा है
मैं उसे सुन नहीं सकता
जो कुछ भी अच्छा है
उसे सूँघकर जान लूँगा
नाक अभी खुली है
मैं आँखों पर विश्वास नहीं करता
आँखें सिर्फ़ फ़िल्म देखती हैं