भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्षमैव / गीत चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:37, 28 जुलाई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गीत चतुर्वेदी |संग्रह=आलाप में गि...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज घर में झाड़ू लगाया है मैंने
परदे साफ़ कर दिए हैं
बिखरी किताबों से तुम चिढ़ती थीं
आज इन्हें भी क़रीने से रख दिया है
कपड़ों में ख़ुद ही कर ली है प्रेस
बर्तन भी धो दिए हैं
आज इतने दिन बाद तुम्हारे सिर पर रखा है तेल
तुम्हारे शरीर की मालिश भी कर दी है
नहीं, नहीं
धन्यवाद की कोई ज़रूरत नहीं
मैं धो रहा हूँ कुछ पुरानी ग़लतियाँ