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जीवन का मालिन्य / अज्ञेय

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मैं अपने अस्तित्व की रक्षा करने के लिए बलि हो जाना चाहता हूँ। तुम मेरे बलिदान का खोखलापन दिखा कर मेरी हत्या कर रही हो!
हम दोनों एक-दूसरे के आखेट हैं, और अनिवार्य, अटल मनोनियोग से एक-दूसरे का पीछा कर रहे हैं।

19 जुलाई, 1933