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इस अपूर्ण जग में कब किसने / अज्ञेय

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 इस अपूर्ण जग में कब किसने
प्रिय, तेरा रहस्य पहचाना?
क्यों न हाथ फिर मेरा काँपे
छू माला का अन्तिम दाना?

लाहौर, 12 दिसम्बर, 1934