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मानस के तल के नीचे / अज्ञेय

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मानस के तल के नीचे है नील अतल लहराता
तल पर लख अपनी छाया तू लौट-लौट क्यों जाता?
है काम मुकुर का केवल करना मुख-छवि प्रतिबिम्बित-
क्या इसी मात्र से उस की है यथार्थता परिशंकित?

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