मैं बहुत ऊपर उठा था, पर गिरा।
नीचे अन्धकार है-बहुत गहरा
पर बन्धु! बढ़ चुके तो बढ़ जाओ, रुको मत :
मेरे पास-या लोक में ही-कोई अधिक नहीं ठहरा!
अक्टूबर, 1969
मैं बहुत ऊपर उठा था, पर गिरा।
नीचे अन्धकार है-बहुत गहरा
पर बन्धु! बढ़ चुके तो बढ़ जाओ, रुको मत :
मेरे पास-या लोक में ही-कोई अधिक नहीं ठहरा!
अक्टूबर, 1969