भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ओ साँइयाँ / अज्ञेय
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:59, 10 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=ऐसा कोई घर आपने दे...' के साथ नया पन्ना बनाया)
झील पर अनखिली
लम्बी हो गयीं परछाइयाँ
गहन तल में कँपी यादों की सुलगती झाँइयाँ
आह! ये अविराम अनेक रूप विदाइयाँ
इस व्यथा से ओट दे ओ साँइयाँ!