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नशे में सपना / अज्ञेय

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नशे में सपना देखता मैं
सपने में देखता हूँ
नशे में सपना देखनेवाले को
सपने में देखता हुआ
नशे में डगमग सागर की उमड़न।

इतने गहरे नशों में
इतने गहरे सपनों में
इतने गहरे नशे में।
सागर इतना गहरा, विराट्।
देखने वाला मैं इतना छिछला, अकिंचन।

इतना बहुत नशा इतने बहुत सपने
इतना बहुत सागर इतना कम मैं।

नयी दिल्ली, मार्च, 1967