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गरीबी और गु़लामी / लालित्य ललित

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ग़रीब
आदमी ही क्यों शिकार बनता है ?
अमीर क्यों नहीं
अक्सर सवाल उठता है
अपराधी की नज़र में
दोनों बराबर हैं
कोई आसानी से
सुलभ हो जाता है
कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती से
ध्यान रखें
आप, अपना व अपने -
परिवार का
कहीं
अगला शिकार
आप तो नहीं !
कमरे मंे सन्नाटा पसर
गया
- आज़ाद भारत का
आम आदमी
अभी तक
ग़ुलाम है ।