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तुम्हारी हॅंसी की / संगीता गुप्ता

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तुम्हारी हँसी की
खुनक चुरा
मौसम निखर आया
तुम्हारी खुशबू चुरा
फूल इतरा रहे
तुम्हारी आँखो की
चमक चुरा
सूरज चहक रहा
मौसम
फूल
सूरज
इन सबमें
आखि़र
तुम ही क्यों हो