भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुख / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:14, 29 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=प्रतिनाद / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सुख
जो तुमने दिया
जी चाहता है
डीप फ्रिजर में
सहेज कर
रख दूँ उसे
गाहे - बगाहे
आड़े वक़्त
जब जीना बेमानी लगे
उसका एक टुकड़ा
माइक्र्रोवेव में
गरमा लूँ
भर लूँ उसकी उर्जा
अपनी सर्द साँसों में
ताजा़दम हो
निकल पड़ूँ फिर
जीवन से
आखें चार करने