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तुम्हारे जाने के बाद भी / संगीता गुप्ता

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तुम्हारे जाने के बाद भी
तुम्हारी दहकती हथेलियों की आँच
मेरी हथेलियों में
ठहरी हुई है
कहा, अनकहा सब
सीने में जम - सा गया है
ओंठ, जब कुछ नहीं कहते
तब आँखें
बहुत बोलती हैं
तुम्हारी आँखों की नमी
अब इन आँखों में
आ बसी है
हमारे न चाहने पर भी
तुम्हारा बहुत कुछ
मेरे पास रह गया है
चाहो तो
सब वापस ले लो
बात इतनी - सी है
क्या यह सब,
समेट सकोगे ?