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नयी रश्मियाँ आयें / गुलाब खंडेलवाल

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नयी रश्मियाँ आयें
नयी भूमि हो, नया गगन, नव क्षितिज, नवीन दिशायें

नव कलियाँ अवगुंठन खोले
पक्षी नए स्वरों में बोलें
वन-वन नवल समीरण डोलें
 नव प्रसून लहरायें

नव नक्षत्रलोक से चलकर
उतरें नव मानव पृथ्वी पर
खुलें द्वार पर द्वार नवलतर
नित नव हो सीमायें

नयी रश्मियाँ आयें
नयी भूमि हो, नया गगन, नव क्षितिज, नवीन दिशायें