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प्रश्न-उत्तर / संगीता गुप्ता
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यह कैसा
कौन - सा वक्त है ?
किससे पूछूं
कौन बतायेगा
हर आदमी खोया
प्रश्नों के जंगल में
उत्तर किसी के पास
नहीं यहां
धरती पर पांव
टिकाओ तो
दलदल बन जाती है वह
आकाश असीम नहीं
अंधा कुंआ है
सूरज, चांद, हवा, कोई नहीं उबारता
बस डुबोता है
रचता है षडयंत्र
जीवन के विरूद्ध
प्रकृति
मुंह मोड़े आदमी से
थकी दे - देकर
आदमी फैलाये हाथ आज भी
अकेला अपने साये से भी डरता
नहीं मिलते उसे
अपने प्रश्नों के
उत्तर
या फिर
आदमी या
प्रकृति किसी के पास
होते ही नहीं
गलत प्रश्नों के उत्तर