भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साक्ष्य / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:35, 12 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=समुद्र से ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
उसका उदात्त
उत्कट अभिलाषा के
गुरुत्वार्कषण से सिक्त
हमारे उदात्त से
जा मिला
और उस
समयातीत क्षण में
पोर - पोर आत्मा
रेशा - रेशा अस्तित्व
चरमानन्द के स्पर्श से
आप्लावित
बिल्कुल एक साथ
प्रलय एवं सृजन का साक्ष्य बना
विराट - दर्शन बोध
क्या ऐसा ही होता है ?