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तलाश / संगीता गुप्ता

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यायावर - सा
भटकता मन
एक से
दूसरे स्थान
चलते जाना
चलते जाना

इस छोर से
उस छोर
कहीं एक इंच जगह
नहीं मेरे लिए

तुम्हें पाया
तो समझी
कि मैं तुम्हें ही ढूँढ रही थी