भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खोना और पाना / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:15, 13 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=समुद्र से ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
धरती से
आकाश तक
इस छोर से
उस छोर तक
तुम ही तुम हो
मैं ही मैं हूं
स्वयं को खो
पाना तुम्हें
और तुम्हें पाते हुए
पा लेना स्वयं को
खोना या पाना नहीं
अद्धभुत है
खोने में पाने
और पाने में खोने के दौर से
गुजरना