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जिजीविषा / संगीता गुप्ता
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हर सुबह
शुरू होती है
जद्दोजहद पांव की
अपनी ही
जमीन पर
और शाम
धंस जाती है
दलदल में
सिर से पैर तक
तभी घर लौटती है चिड़िया
दाना चोंच में लिए
और निढाल पड़ी वह
महसूस करती है
अपने पंखों का उगना