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प्रभुजी ! माया नांच नचावे / शिवदीन राम जोशी
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प्रभुजी ! माया नांच नचावे |
छन-छन रूप स्वरूप धारकर, नित प्रति खेल दिखावे ||
रोकी रुके नहीं या म्हांसे, याते विनय करां हां थांसे |
भक्ति देकर झगड़ो मेटो, माया नहीं सतावे ||
माँगा प्रेम भक्ति बलिहारी, गुण गण गांवा उमर सारी |
जनम-जनम दर्शन हरी देवो, तो जिवरो सुख पावे ||
माँगा ज्ञान भक्ति के संग में, भीगे तन मन सच्चा रंग में |
सज्जन संत जनन की सेवा, श्रद्धा भाव बढ़ावे ||
हेलो सुनो दया का सागर, राम श्याम प्यारे नट नागर |
शिवदीन दीनपर कृपा करो हरी, तू कृपा सिन्धु कहलावे ||