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चिंता (1) / सत्यनारायण सोनी
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चिंतित है
हाड़ी काटता मजदूर,
कैसे पार पड़ेगा
इतनी-सी दिहाड़ी में
सायं का राशन?
चिंतित है
जमींदार भी,
बहुत महंगे
हो गए हैं दिहाडि़ए।
1991