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मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ / मीराबाई

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राग सहाना


मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ।
झूठे धंधों से मेरा फंदा छुड़ाओ॥

लूटे ही लेत विवेक का डेरा।
बुधि बल यदपि करूं बहुतेरा॥

हाय!हाय! नहिं कछु बस मेरा।
मरत हूं बिबस प्रभु धाओ सवेरा॥

धर्म उपदेश नितप्रति सुनती हूं।
मन कुचाल से भी डरती हूं॥

सदा साधु-सेवा करती हूं।
सुमिरण ध्यान में चित धरती हूं॥

भक्ति-मारग दासी को दिखलाओ।
मीरा को प्रभु सांची दासी बनाओ॥


शब्दार्थ :- विवेक =सत्य और असत्य का निर्णय। डेरा = स्थान। सवेरा =शीघ्र, जल्दी।