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तुम्हारा पल दो पल का साथ / संगीता गुप्ता
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तुम्हारा पल दो पल का साथ
तुम से की दो बातें
भर देती हैं मुझे
मीठे एहसास से
भूल जाती हूँ
एकाकीपन की थकान
अजनबी षहर की
खत्म न होती भीड़ में
अपना लगता है मुझे
ऑंखों में कौंध जाता
सिर्फ तुम्हारा चेहरा