भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनायास तुम से मिलना / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:56, 9 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=इस पार उस प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अनायास
तुम से मिलना
और आत्मीयता की
सारी सीमाएं लांघ कर
यूं विभोर हो जाना मेरा
सेचती हूँ
क्या रिश्ते
ऐसे भी होते हैं
इतने पारदर्शी, इतने सरल
तुम्हारी आँखों की नमी में
मेरा अस्तित्व डूब गया है
मैं नहीं हूँ
कहीं भी नहीं
क्यों कि
मैं
तुम हो गयी हूँ