भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सच्चे दोस्त के मानिंद / संगीता गुप्ता

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:18, 9 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संगीता गुप्ता |संग्रह=इस पार उस प...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सच्चे दोस्त के मानिंद
हर पल
साथ रहता मेरे

बहुत चाहा कि
वह मेरा साथ छोड़ दे
समझाया
मनाया
फटकारा
दुत्कारा उसे
पर एक जिद्दी बच्चे - सा वह
कभी मेरे गले से लिपट जाता
कभी मचल कर
गोद में बैठ जाता

तमाम कोशिशों के बावजूद
वह छोड़ कर जाता नहीं
संग सोता
साथ जागता
यूं लगता है
दर्द
अनजाना जीवन साथी हो जैसे