भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बलदेव दाऊजी वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:29, 12 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम' |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


चाहें जो सु जीवन में जीवन कौ लाभ कछु-
तौ पै मन मेरे तज भावना दै छुद्र की।

जो पै चहें बैभव बिपुल औ बिभूति श्रेष्ठ,
तौ पै कर साधना आराधना तू रुद्र की।

शक्ति हेतु शक्ति रिद्धि-सिद्धि कौं गणेश की त्यों,
मुक्ति कौं मुकुन्द भक्ति हेतु ब्रज अद्रि की।

'प्रीतम' प्रबुद्धि हेतु सरसुती कौं ध्यावें ज्यों,
सभी कामना कौं कर सेवा बलभद्र की।।



खात सदा मिसरी अरु माखन लाखन भकतान के प्रतिपाल।
'प्रीतम' प्रान हैं रेवती के प्रिय भ्रात हैं जाके जसोमत लाल।
दिव्य है रूप अनूप अभूसन ह्वै कें कृपाल करें हैं निहाल।
बारहु ठौर पै राजत हैं ब्रज के नृप ठाकुर दाऊ दयाल।।