भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हे पुण्यभूमि ! वन्दे / विमल राजस्थानी

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:54, 13 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल राजस्थानी |संग्रह=फूल और अंग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे ऋषि-मुनियों की धर्म-भूमि !
शूरों-वीरों की कर्म-भूमि !
भवभूति-व्यास की मर्म-भूमि !
हे धर्मभूमि ! वन्दे
हे कर्म-भूमि! वन्दे
हे मर्म-भूमि ! वन्दे

जीवन की प्रथम लहर तुम हो
सत्पथ की अमर डगर तुम हो
‘मधु-ऋचा-ज्ञान’ की अमृत किरण
देवों की भूमि अमर तुम हो
हे अमरभूमि ! वन्दे
हे समर-भूमि ! वन्दे

हम तेरे पुत्र निराले हैं
तेजस्वी, हिम्मत वाले हैं
मिट्टी से सोना उपजायें
रेतों में गंगा लहरायें
हे जमुन-गंग ! वन्दे
हिम-शैल-श्रृंग ! वन्दे

हम शांति-सुधा बरसायेंगे
दुनिया से द्वेष हटायेंगे
हिंसा का नाम मिटायेंगे
भूतल को स्वर्ग बनायेंगे
हे स्वर्ग-भूमि ! वन्दे
अपवर्ग-भूमि ! वन्दे
हे धर्मभूमि ! वन्दे
हे कर्म-भूमि! वन्दे
हे मर्म-भूमि ! वन्दे