भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुमको तो करोड़ो साल हुए / प्रदीप
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:05, 21 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = प्रदीप }} {{KKCatGeet}} <poem> तुमको तो करोड़ो ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
तुमको तो करोड़ो साल हुए बतलाओ गगन गंभीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया में क्यूँ अलग अलग तक़दीर
मिलते हैं किसी को बिन मांगे ही मोती
कोई मांगे लेकिन भीख नसीब ना होती
क्या सोच के है मालिक ने रची ये दो रंगी तस्वीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया में क्यूँ अलग अलग तक़दीर
कुछ किस्मत वाले सुख से अमृत पीते
कुछ दिल पर रख कर पत्थर जीवन जीते
कहीं मन पंछी आकाश उड़े कहीं पाँव पड़ी ज़ंजीर
इस प्यारी प्यारी दुनिया में क्यूँ अलग अलग तक़दीर