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मैराथन में है भविष्य जी / महेश अनघ
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मैराथन में है भविष्य जी
उमर पांच कद पौने तीन
आँखों में आकाश अषाढी
सेब गाल कच भँवरीले
तन में गोकुल-गंध
चाल दुलकी, नथुने गीले-गीले
कसी हुई नवनीत पीठ पर
मैकाले की पुख़्ता ज़ीन
तख़्ती पर कुर्सी छापी
फिर रुपया रुतबा रौब लिखा
तब से ही तोता रटंत में
ज़्यादा-ज़्यादा जोश दिखा
तनखैया टीचर ट्यूशन में मीठे
कक्षा में नमकीन
पाँच रोज झंडा माता की
जय-जय का अभ्यास किया
छठवें दिन नाचे-गाए
तब मुख्य-अतिथि ने पास किया
खेले खाए तो चपरासी
पढ़े, गए अमरीका चीन ।