भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूर्योदय / किरण अग्रवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:01, 6 जनवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किरण अग्रवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सूरज पूरब से नहीं निकला आज
न पश्चिम से
सूरज निकला आज
एक साहित्यकार की कामान्ध कलम से
कुछ अलसाया-सा
कुछ भरमाया-सा
अपने स्खलित वीर्य को
उषा की अधखुली जंघाओं पर बिखेरता
देखते ही देखते
केबल टी०वी० के
नेटवर्क में उलझ गया