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आवेग / दिनकर कुमार

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आवेग ने किसी को बनाया प्रेमी
किसी को क्रांतिकारी,
किसी को हत्यारा,
किसी को शिकारी ।

आवेग में ही चुनी गई ग़लत राह
लिए गए ग़लत फ़ैसले
बुने गए सपने
रचा गया संशय का अरण्य ।

यह आवेग गर्भ से ही संग रहा है
गर्भ से बाहर के जगत में भी

इसी के सम्मोहन में
मुसाफ़िर भूल जाते हैं अपनी राह

इसी के सम्मोहन में
इतनी पीड़ा, इतना हाहाकार !!