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आज तेरा श्रृंगार कराऊँ बन्ना रे / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात


आज तेरा श्रृगार कराऊँ बन्ना रे
तोहे बांका-सा दुल्हा बनाऊँ बन्ना रे ।।

उबटन केसर करूँ, गंगाजल नीर भरूं।
तोहे मल मल के आज नहलाऊँ बन्ना रे

बाकी सी पगड़ी बाँधू, हीरे की कलंगी साँजू
तोहे केसरिया जामा पहनाऊ बन्ना रे ।।

नैनो मे कजरा साँजू हाथो मे कँगना बाँधू
तोहे पन्ने का हार पहनाऊ बन्ना रे ।।

जीवन मैं तोपै वारूं झोले भर मोती वारूं ।
तोंहे देख देख नैना रिझाऊ बन्ना रे ।।

आज तेरा श्रृगार कराऊँ बन्ना रे
तोहे बांका-सा दुल्हा बनाऊँ बन्ना रे ।।