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लाड़ो पूछे दादी से ओ दादी / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बन्नी पूछें दादी से ओ दादी
मैं किस मिस देखन जाऊं, रंगीले आ उतरे बागां मा

हाथ टोकरिया फूलों की
मालन बनकर जा बन्नी, रंगीले आ उतरे बागां मा
काची-काची कलियां तोडूं थी बागां मा
मै उलझ पड़ी घुघंट मा, मुखड़ा देख गये बागां मा
बोल-बतलाये गये बागां मा
हमारी सावै चढ़ी बन्नी के नजर लगायै गये बागां मा
हमारी तेल चढ़ी बन्नी के नजर लगायै गये बागां मा

बन्नी पूछें ताई से ओ ताई
मैं किस मिस देखन जाऊं, रंगीले आ उतरे पनघट मा

हाथ गठरिया कपड़ों की
धोबन बनकर जा बन्नी, रंगीले आ उतरे पनघट मा
काची काची चुनरिया धोऊँ थी पनघट मा
मै उलझ पड़ी घुघंट मा, मुखड़ा देख गये पनघट मा
बोल-बतलाये गये पनघट मा
हमारी सावै चढ़ी बन्नी के नजर लगायै गये पनघट मा
हमारी तेल चढ़ी बन्नी के नजर लगायै गये पनघट मा

बन्नी पूछें मम्मी से ओ मम्मी
मैं किस मिस देखन जाऊं, रंगीले आ उतरे नगर मा

हाथ डिलइया बासन की
कहारन बनकर जा बन्नी, रंगीले आ उतरे नगर मा
काचे काचे बर्तन बनाऊँ थी नगर मा
मै उलझ पड़ी घुघंट मा, मुखड़ा देख गये नगर मा
बोल-बतलाये गये नगर मा
हमारी सावै चढ़ी बन्नी के नजर लगायै गये नगर मा
हमारी तेल चढ़ी बन्नी के नजर लगायै गये नगर मा